मजबूती से थामों एक दूजे का हाथ। यही पुनीत भावना, करो नित्य साधना।। मजबूती से थामों एक दूजे का हाथ। यही पुनीत भावना, करो नित्य साधना।।
साथ चले हर आवाजाही आसान हो चला हर सवाल चाह अनचाह हसीन ये जीवन की राह। साथ चले हर आवाजाही आसान हो चला हर सवाल चाह अनचाह हसीन ये जीवन की राह।
मुझे समझाया प्रकृति ने है मुझे समझाया प्रकृति ने है
प्रभात बेला में पंछी प्यारे गाते हैं रवि उदय होते ही पेड़ों से उतर आते हैं। जल मे प्रभात बेला में पंछी प्यारे गाते हैं रवि उदय होते ही पेड़ों से उतर आते ...
इस प्रकृति के बिना , कितना सूना है सब कुछ ? सोचो गर पेड़ ना हों , तो बिन श्वास जाए ये इस प्रकृति के बिना , कितना सूना है सब कुछ ? सोचो गर पेड़ ना हों , तो बिन...